Mahabharta... with Deepak

29 The Mahabharta series Mantrana katha part 2


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चलों मान भी लें कि उपरोक्त बताए गया सब कुछ हो गया था तब भी महाभारत के यद्धु को होने से रोका जा सकता था यदि द्यूत क्रीड़ा का आयोजन नहीं होता। राजभवन में कौरवों और पांडवों के बीच द्यूत क्रीड़ा यानि चौसर खेलने को अनुमित देना भीष्म की सबसे बड़ी भूल थी। वो चाहते तो ये क्रीड़ा रोक सकते थे लेकिन चौसर के इस खेल ने सब कुछ चौपट कर दिया। यह महाभारत युद्ध का टर्निंग पाइंट था। भीष्म के इजाजत देने के बाद युधिष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर लगाकर दूसरी सबसे बड़ी भूल की थी जिसके कारण महाभारत का युद्ध होना और भी पुख्ता हो गया। युधिष्ठि ने अपने भाइयों और पत्नी तक को जुए में दांव पर लगाकर अनजाने ही युद्ध और विनाश के बीज बोए थे।

दुर्योधन और शकुनि राजा धृतराष्ट्र के पास गये और उनसे चौसर के खेल का आयोजन रखने का आग्रह किया। धृतराष्ट्र ने कहा कि वो विदुर की सलाह के पश्चात इसका निर्णय करेंगे लेकिन दुर्योधन को बिना पूछे इस खेल का आयोजन करने के लिए अपने पिता को बाध्य किया। अंत में धृतराष्ट्र को उनकी बात माननी पड़ी और उसें चौसर के खेल के आयोजन की घोषणा करवाई। विदुर को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने  धृतराष्ट्र को बताया कि इस खेल से हमारे कुल का नाश हो जाएगा लेकिन पुत्र प्रेम में धृतराष्ट्र कुछ नही बोले। भीष्म पितामह भी चुप रहे। धृतराष्ट्र ने विदुर को युधिष्ठिर को खेल का न्योता देने को भेजा।

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Mahabharta... with DeepakBy Deepak Thakur