नमस्कार दोस्तों, कार्तिक पूर्णिमा की बहुत बधाई. आज की कहानी है शिव जी के त्रिपुरारी नाम पड़ने की. शिव जी ने तारकासुर के तीन पुत्रों त्रिपुरासुर का दिव्य रथ और बाण से अंत किया और देवों को उनके लोक लौटाए. सब ने शिव का गुण गान किया पुरी काशी को दियों से सजाया. तब से ही कार्तिक पूर्णिमा को काशी में देव दिपावली का पर्व मनाया जा रहा. इसकी इतनी महिमा है की दूर विदेशों से सैलानियों को काशी खींच लाती है.