लेडिस बाथरूम के बाहर विचित्र मन से खड़ा ही रहता है कि प्रियम उसे अंदर खिंच के कुंडी लगा देती है।
मानो दोनों में कामदेव और रति समा गए हो । दोनों एक दूसरे को चमत्कारी चुंबन करने लगते है
प्रियम सारांश को 'किस' करते हुवे बोलती है कि तूफान बन गए हो क्या आराम से करो
सारांश बोलता है कि पिछले 6 महीने से अकेले रहते रहते अंडकोष में सूजन आ गयी है ।
बंगाली डॉक्टर बोले है- घड़ा भर गया है जल्दी से जल्दी कही छलका दो वर्ना फुट जाएगा।
प्रियम - तलाक वाला आइडिया किसका था... अब बोलो आ गयी न समस्या ।
सारांश -अरे, तो तुमने ही तो बोला कि, पांच साल की शादी के बाद हम दोनों ही उजड़ गए है। जवानी में बिजली नही है और प्यार खो गया है।
प्रियम- हा, तो गलत क्या कहा, आज जितनी बेचैनी और पागलपन कहा था पहले । पीहर में बैठ के तुम्हारी याद में घंटो लव लेटर लिखा करती हूँ।
मीठी कहानियां, रसभरी कहानियां, और सच्ची मनोहर कहानियां पढ़ने को मन फिर से बेचैन रहता है।
सारांश - मेरी जिंदगी की परत दर परत में प्यार छुपा बैठा है, एक बार उखाड़ के देखो प्रियम ,नए लौंडो की तरह आज हम भी तुम्हे पाने के लिए तरसते है ।
प्रियम - सच में सारांश,आज फिर से मेरे होठों पे तुम्हारी हर धड़कन महसूस हो रही है।
सारांश - मेरी रेशम, देखो, तुमसे दूर होकर मैं चिथड़ा हो गया हूं । जी तुम्हे प्यार करने को तरस तरसकर के रह जाता है
इस दूरी ने हमारे प्यार को फिर से जिंदा कर दिया है । फिर से तुम्हे फेसबुक पे खोजता रहता हूं।
प्रियम- टेंशन मत लो आज प्रोफाइल बना ली है । सर्च करोगे तो प्रियम वाजपेयी फिर मिलेंगी तुम्हे।
सारांश - हा, अब बस तलाक हो जाये फिर 6 महीने तक एक दूसरे से नए इंसानों की तरह मिलेंगे ।
प्रियम - रात रात भर पागलों की तरह फोनिया जाएगा , मैं तो एक बार फिर से तुम्हें भइया से पिटवा के रहूंगी।
सारांश- लेकिन जान कुत्ते की तरह मुझे कूट देता है कमीना
प्रियम- ह्म्म्म , मैं फिर घर से भाग जावोंगी ।
सारांश - हा, फिर से करेंगे शादी और फिर लौटेगा प्यार।
प्रियम- अब जल्दी से उठावो मुझे औऱ देखो मेरी साड़ी भी खुल गई।
सारांश - ह्म्म्म लो ,तुम्हें उठा के सीधा खड़ा कर दिया।
प्रियम- अब अपनी आँखें बड़ी करू मुझे अपना चेहरा ठीक करना है ।
सारांश- तुम्हे मेरी आँखों मे दिख जाता है कि तुम कैसी लग रही हो।
प्रियम- ( प्रियम अपनी साड़ी औऱ बाल ठीक करते हुवे)
तुम्हारी आँखों में तो ठीक से नहीं दिखता लेकिन .....
सारांश - लेकिन क्या
प्रियम- जब तुम एक टक बिना पलके झपकाए देखते हो न, तो समझ आ जाता है कि मैं अच्छी लग रही हूँ।
अचानक बाथरूम का दरवाजा खटखटाया जा रहा है दोनों इस बीच जल्दी जल्दी खुद को ठीक करते है । दरवाजा पे देगी शुक्ला है और बल्ली है।
तनिक विलम्ब के पश्चात गुप्ता मैंगो शॉप पे दरबार लगाया जाता है
गुप्ता की दुकान पे प्रियम और सारांश बैठे है । मथुरा प्रसाद, बल्ली और देगी रहस्यमयी, अचरज भरी और संदेह की नजरों से क्रमशः प्रियम और सारांश को देख रहे है ।
जबरदस्त आलिंगन भरा प्यार और मार पीट करने वाले इंसान अक्सर एक जैसे ही दिखते हैं।
प्रियम और सारांश भी कुछ ऐसे लग रहे है, जैसे प्यार नहीं दोनों ने एक दूसरे के साथ झमाझम पिटाई की है।
स्वेटर बुनती देगी कहती है,
जज साहब इनको एक साथ तो खुला छोड़ना भी खतरनाक है ।