इस एपिसोड में-
*शिवलिंग के साथ शिवजीकी मूर्तिकी भी स्थापना करनी चाहिये।
*समस्त सृष्टि स्थावर और जंगम शिवका ही चर और अचर रूप है।
*चार प्रकार के शिवलिंग- मनुष्य द्वारा स्थापित, ऋषियों द्वारा स्थापित, देवताओं द्वारा स्थापित और स्वयंभू।इनमें स्वयंभू सर्वोत्तम है।
*हाथके अंगूठे में भी शिवलिंग की भावना करते हुये पूजन कर सकते हैं।
*द्विज पुरुषों को "नमः शिवाय" तथा स्त्रियों और अन्य लोगों को "शिवाय नमः" की दीक्षा देनी चाहिये।
*गायत्रीजप से सबकी पूजा हो जाती है।गायत्रीजपके विना अन्य किसी मन्त्रको जपने का अधिकार ही नहीं।
*शिवमंदिर के क्षेत्र में स्थित कूप इत्यादि शिवगंगा कहे गये हैं।
*दिन-रात के विभिन्न समयों के अनुसार कर्मविधान।