दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 165. शिवपुराण। सदाचार एवं वर्णनिर्धारण।


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इस एपिसोडमें-
*वर्णनिर्धारण जन्मना ही होता है।
*चारों वर्णोंमें गुण-कर्मानुसार चार चार वर्ण हैं। इस प्रकार जन्म-कर्म को मिलाते हुये 16 वर्ण हैं।
*वर्णोन्नति अथवा आध्यात्मिक विकासवाद का सिद्धान्त।
*प्रातः सोकर जागने पर सर्वप्रथम पूर्वकी ओर मुख करके उठें।
*सदाचार सम्बन्धी अन्य प्रकीर्ण विन्दु।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati