*अहं की व्याख्या। समस्त ब्रह्माण्ड का बोधक है - अहम्। अ से ह तक में ही समस्त चराचर जगत है।
* अहं का एक अर्थ है- जिसका हनन न किया जा सके और जो किसीका हनन न करता हो।
*अहं अविनाशी और अविनाशक है।
*अहं का अर्थ प्रणव हुआ । अहं का अर्थ ब्रह्म हुआ।
*सृष्टिकी प्रथम ध्वनि है प्रणव।
*प्रणवके विभिन्न अर्थ अगले एपिसोड में.....।