दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 182. शिवपुराण। दान-धर्म भाग-2।


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*दान और दया में अन्तर।
*सामान्य ब्राह्मण और वेदवेत्ता ब्राह्मण को दिये गये दान में अन्तर।
*वार के अनुसार दान और ब्राह्मणसेवा का फल। रविवारका विशेष फल।
*अन्नदान के दस अंग।
*दान-धर्मसे तत्काल विचारशुद्धि होती है और आत्मसंतुष्टि मिलती है किन्तु उसका वास्तविक फल जन्मान्तर में मिलता है।
*सूक्ष्म शरीरकी अनन्त यात्रा।
*बटुक को दशांग अन्नदान का फल। उसे ब्रह्मा समझकर भोजन करायें।
*विष्णु बुद्धि से युवक ब्राह्मण को दान देने और भोजन कराने का फल।
*बृद्ध ब्राह्मणमें रुद्र बुद्धि ।
*बालिकाओं में सरस्वती बुद्धि से।
*युवती स्त्रीमें लक्ष्मी बुद्धि।
*बृद्धा स्त्रीमें पार्वतीबुद्धि आत्मज्ञान और मोक्ष हेतु।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati