दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 186. पातञ्जल योगसूत्र + शिवपुराण। प्रणव के भेद और जप-अनुष्ठान।


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(नोट- यह एपिसोड संन्यासियों और नैष्ठिक ब्रह्मचारियों के लिये विशेष उपयोगी है)
*पञ्चाक्षर मंत्र (नमः शिवाय) प्रणव का स्थूलरूप है और एकाक्षर मंत्र (ॐ) प्रणव का सूक्ष्म रूप है।
* स्थूल प्रणव गृहस्थ इत्यादि के लिये और सूक्ष्म प्रणव संन्यासी के लिये है।
*उच्चारण भेद से प्रणव के आठ प्रकार।
*अ शिव है, उ शक्ति है और म दोनों का संयोजक है।
*सकाम साधक ह्रस्व उच्चारण करें और निष्काम साधक दीर्घ उच्चारण करें।
*प्रणवका कितना जप करने से किस स्तर की सिद्धि होती है।
*नित्यजप में मानक जप संख्या एक सहस्र प्रतिदिन है।
*
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati