दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 187. शिवपुराण। मंत्रोंके संस्कार।मंत्रजप सम्बन्धी क्रियात्मक और तकनीकी मार्गदर्शन।


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*योग्य गुरुसे दीक्षा लिया विना मंत्र जप न करें। अपने मन से पुस्तक से पढ़कर जप करने से कोई लाभ नहीं होता, उलटे हानि ही होती है। गुरु द्वारा कानमें दिया गया मंत्र बन्दूक की गोली की भांति है और अपने मन से पढ़कर या टी वी चैनल पर देख-सुनकर जप करना कारतूस को हाथ से फेंककर मारने जैसा है।
*मंत्रके दशविध संस्कार। गृहस्थों के लिये राम सर्वाधिक प्रभावशाली मंत्र है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati