शिवयोगी तीन प्रकार के होते हैं।क्रियायोगी, तपोयोगी और जपयोगी।
*जपयोग सर्वोत्तम है।
*साधक तीन प्रकारके - प्रवृत्तिमारर्गी, निवृत्तिमार्गी और मिश्रित। प्रवृत्ति मार्गी और मिश्रित को स्थूलप्रणव का और *निवृत्तिमार्गियों के लिये सूक्ष्म प्रणव का प्रयोग करना चाहिये।
*भगवान् के साथ भगवान् के भक्तकी भी पूजा कीजिये।
*प्राणयज्ञ और जपयज्ञ सर्वोत्तम के साथ सर्वाधिक सुकर भी है।
*नवधा भक्ति में सर्वप्रथम है सत्संग।