दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 190. पातञ्जल योगसूत्र- प्राणायाम भाग 3. इडा पिंगला सुषुम्णा इत्यादि नाडि़यों का वर्णन।


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*गान्धारी और हस्तजिह्वा नाडी़ - दोनों आंखों से लेकर पैर के अंगूठे तक। नेत्र इन्ही दोनों नाडि़यों के अधीन हैं
*ऊषा और यशस्विनी नाडि़यां कान को नियंत्रित करती हैं।
*शूरा नाडी़ गन्ध का अनुभव कराती है। यह नाक से भ्रूमध्य तक जाती है।आजकल कोरोना वायरस इस नाडी़ को अवरुद्ध कर कर रहा है।
*इडा़, पिंगला और सुषुम्णा का वर्णन।
*शरीर के भीतर भ्रूमध्यका प्रयाग संगम।
*मुक्त त्रिवेणी और युक्त त्रिवेणी।
*स्वर परिवर्तन का अन्तराल।
*किस पक्षमें किस तिथि को सूर्योदय के समय कौन सा स्वर चलता है, इसका वर्णन।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati