*मोक्ष स्थाईभाव है, बन्धन आगन्तुक है। मोक्ष वास्तविक है, बन्धन आरोपित है।
*भस्म शब्द का अर्थ। शिवजी संसार-प्रपंच को जलाकर उसे भस्मरूप से धारण करते हैं। भस्म जगत् का सारतत्व है। त्रिपुण्ड- ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों को धारण करने का संकेत है।
*शिवका अर्थ है- वश में करने वाला।
*श = आनन्द, इ = पुरुष, व = शक्ति।
*शिवाश्रमी = शिवको एकमात्र देव मानने वाला।
*गुरु- जो सत् रज तम तीनों गुणों का रोध करता है, तीनों गुणों मुक्त करता है। इसीलिये शिव परमगुरु हैं।
*गुरु मंत्रपिता होता है। गुरु के पितृत्व और शिष्य के पुत्रत्व का रहस्य।शरीर को उत्पन्न करने वाला पिता जीवको प्रपंच में डालता है, दीक्षा देने वाला गुरु जीव को प्रपंच से निकालता है।
*उत्पाद और आय से प्रथम भाग गुरुके लिये और धर्मके लिये निकालना चाहिये। शेष भागको प्रसाद मानकर उपभोग करें।
*गुरु को अर्पित करना ही शिव को अर्पित करना है।