दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 202. पातञ्जल योगसूत्र - क्रियायोग (भाग 3) - सूत्र 2.2से5 - तप स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान।


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इस एपिसोड में- *योग और तप का सामञ्जस्य।
*तीन प्रकार के तप।
*श्रद्धारहित तप निरर्थक है।
*योगमार्ग में अधिक व्रत-उपवासरूपी तप उपयुक्त नहीं।
*स्वाध्याय क्या है?
*ईश्वरप्रणिधान क्या है?
*सूत्र 2- क्रियायोग का फल।
*सूत्र 3- पाँच क्लेश।
*सूत्र 4- अविद्या सभी क्लेशों का कारण है।
*सूत्र 5- अविद्या का स्वरूप। जो वास्तवमें दुःखरूप है उसको सुख समझना अविद्या है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati