* जीवका तिर्यक् योनियों में पड़ना भी ईश्वरकृपा है*किस योनिमें जन्म होगा, इसके निर्धारणका रहस्य।
*जीवके विचार के अनुसार पहले सूक्ष्म शरीर बदलता है तदुपरान्त स्थूल शरीर भी बदलने लगता है।
* मृत्यु से पूर्व ही उसकी वासनाके अनुसार अगले जन्म का गर्भ तैयार रहता है।
*जीवका क्रमिक उद्धार
*पशु पक्षी कीट इत्यादि तिर्यक् योनियों में जन्म मिलना दण्ड नहीं, पुरस्कार है। मनुष्य योनि में कर्म और भोग दोनों होता है, अन्य योनियों में केवल भोग होता है। अन्य योनियों में पापकर्म भी नहीं होते , इस दृष्टि से अन्य योनियों में जन्म मिलना दण्ड नहीं, पुरस्कार है।