*शिवनाम गंगा , भस्म यमुना और रुद्राक्ष सरस्वती है।
*शिवनाम से जितने पाप नष्ट होते हैं उतने पाप मनुष्य कर ही नहीं सकता।
*भस्म सम्पूर्ण मंगलों का प्रदाता है।
*भस्म के तीन मुख्य प्रकार- श्रौत, स्मार्त और लौकिक।
*भस्म धारण करने का अधिकार सभी वर्णोंको है।
* भस्मधारण करके ही शिवमन्त्र का जप करना चाहिये।
*भस्मके जितने कण शरीर पर लगे हुये हैं, उतने शिवलिंग धारण करने के समान है।
*त्रिपुण्ड की निन्दा शिवनिन्दा के समान है।
*भस्मधारण किये विना भोजन करने पर गायत्रीजप द्वारा प्रायश्चित करना चाहिये।