दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 210. पातञ्जल योग, सूत्र २.१५- विपाक क्या है? दुःख चार प्रकार के हैं।


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*पुण्य और पापके आधार पर प्रारब्ध बनता है।
*कोई मनुष्य या प्राणी किसीको सुख-दुःख नहीं देता।अपना कर्म ही देता है। काहु न कोउ सुख दुःख कर दाता। निज कृत करम भोग सबु भ्राता।।
*दुःख के चार प्रकार।
*जिन दुःखों के बीज अभी अंकुरित नहीं हुये हैं, उन्हे नष्ट किया जा सकता है - हेयं दुःखमनागतम् -सूत्र १६.
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati