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February 02, 2021E 215. पातञ्जलयोग, सूत्र २.१७ भाग(३) - स्व-स्वामिभाव, द्रष्टा-दृश्यभाव।13 minutesPlay*प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों बुद्धिकी वृत्तियां हैं।*उपद्रष्टानुमन्ता च भर्त्ता भोक्ता महेश्वरः का अर्थ।*बाह्य व्यापारसे ज्ञानी का सम्बन्ध नहीं होता।...moreShareView all episodesBy Sadashiva Brahmendranand SaraswatiFebruary 02, 2021E 215. पातञ्जलयोग, सूत्र २.१७ भाग(३) - स्व-स्वामिभाव, द्रष्टा-दृश्यभाव।13 minutesPlay*प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों बुद्धिकी वृत्तियां हैं।*उपद्रष्टानुमन्ता च भर्त्ता भोक्ता महेश्वरः का अर्थ।*बाह्य व्यापारसे ज्ञानी का सम्बन्ध नहीं होता।...more
*प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों बुद्धिकी वृत्तियां हैं।*उपद्रष्टानुमन्ता च भर्त्ता भोक्ता महेश्वरः का अर्थ।*बाह्य व्यापारसे ज्ञानी का सम्बन्ध नहीं होता।
February 02, 2021E 215. पातञ्जलयोग, सूत्र २.१७ भाग(३) - स्व-स्वामिभाव, द्रष्टा-दृश्यभाव।13 minutesPlay*प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों बुद्धिकी वृत्तियां हैं।*उपद्रष्टानुमन्ता च भर्त्ता भोक्ता महेश्वरः का अर्थ।*बाह्य व्यापारसे ज्ञानी का सम्बन्ध नहीं होता।...more
*प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों बुद्धिकी वृत्तियां हैं।*उपद्रष्टानुमन्ता च भर्त्ता भोक्ता महेश्वरः का अर्थ।*बाह्य व्यापारसे ज्ञानी का सम्बन्ध नहीं होता।