*जिसकी अहिंसा सिद्ध हो जाती है, उसके प्रति सभी प्राणी अहिंसक हो जाते हैं।
*जहां अहिंसा और हिंसा में टकराव हो, वहां जो भाव अधिक प्रबल होगा वह दूसरे को अपने प्रभावमें ले लेता है। अर्थात् अहिंसा भाव यदि दुर्बल है तो वह अहिंसट भी हिंसक हो जाता है और यदि हिंसक से प्रबल है तो उसे भी अहिंसक बना देता है।
*जो सदा सत्य बोलता है, उसकी वाणी अमोघ हो जाती है।वह अनायास भी कोई बात कह दे तो सत्य हो जाती है।
*सत्यके साधक को व्यवहार में यहां तक कि हास परिहास में भी बहुत सावधान रहना होता है।