दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 221. पातञ्जल योग, सूत्र 2.37-39- अचौर्य, वैराग्य और अपरिग्रह का फल।


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*जिसमें चोरी की भावना का अभाव होता है, उसके समक्ष सभी रत्न प्रकट हो जाते हैं।
*राग त्यागने वाला समस्त प्रकार की सम्पत्तियों का स्वामी हो जाता है।
*जो धर्मको छोड़कर धनसे राग रखते हैं उनको लक्ष्मी ठुकराती है। जो धर्ममें राग रखते हैं , लक्ष्मी उनके पीछे चलती है।
*अपरिग्रह की सिद्धि होने पर पूर्व और वर्तमान जन्म की सब बातें स्मरण होने लगती हैं।
**अपरिग्रह क्या है? केवल धन को छोड़ना अपरिग्रह नहीं है, शरीर से अपनेको पृथक् समझना और किसी भी चीज में ममत्व न रखना अपरिग्रह है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati