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February 05, 2021E 224. पातञ्जल योग, सूत्र 2.46-आसन (भाग2)। श्वेताश्वतरोपनिषद, मन्त्र 2.8-10की व्याख्या।17 minutesPlay*श्वेताश्वतरोपनिषद में कहे गये "त्रिरुन्नतं" और "समं शरीरं" से तात्पर्य।*साधनाके लिये स्थान और समय का चयन।*अपने ही आसन पर साधना करनी चाहिये।*कूलर चलाकर योगसाधना करना उचित नहीं। इसमें वायु और ध्वनि दोनों का विक्षेप है।...moreShareView all episodesBy Sadashiva Brahmendranand SaraswatiFebruary 05, 2021E 224. पातञ्जल योग, सूत्र 2.46-आसन (भाग2)। श्वेताश्वतरोपनिषद, मन्त्र 2.8-10की व्याख्या।17 minutesPlay*श्वेताश्वतरोपनिषद में कहे गये "त्रिरुन्नतं" और "समं शरीरं" से तात्पर्य।*साधनाके लिये स्थान और समय का चयन।*अपने ही आसन पर साधना करनी चाहिये।*कूलर चलाकर योगसाधना करना उचित नहीं। इसमें वायु और ध्वनि दोनों का विक्षेप है।...more
*श्वेताश्वतरोपनिषद में कहे गये "त्रिरुन्नतं" और "समं शरीरं" से तात्पर्य।*साधनाके लिये स्थान और समय का चयन।*अपने ही आसन पर साधना करनी चाहिये।*कूलर चलाकर योगसाधना करना उचित नहीं। इसमें वायु और ध्वनि दोनों का विक्षेप है।
February 05, 2021E 224. पातञ्जल योग, सूत्र 2.46-आसन (भाग2)। श्वेताश्वतरोपनिषद, मन्त्र 2.8-10की व्याख्या।17 minutesPlay*श्वेताश्वतरोपनिषद में कहे गये "त्रिरुन्नतं" और "समं शरीरं" से तात्पर्य।*साधनाके लिये स्थान और समय का चयन।*अपने ही आसन पर साधना करनी चाहिये।*कूलर चलाकर योगसाधना करना उचित नहीं। इसमें वायु और ध्वनि दोनों का विक्षेप है।...more
*श्वेताश्वतरोपनिषद में कहे गये "त्रिरुन्नतं" और "समं शरीरं" से तात्पर्य।*साधनाके लिये स्थान और समय का चयन।*अपने ही आसन पर साधना करनी चाहिये।*कूलर चलाकर योगसाधना करना उचित नहीं। इसमें वायु और ध्वनि दोनों का विक्षेप है।