दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E 227. शिवमहापुराण। प्रतिमापूजा क्यो और कब तक?


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(नोट किसी किसी एपिसोड में प्रवचन की गति तेज हो जाती है तो उसका कारण यह है कि वह प्रसंग थोडा़ बडा़ होगा और उसे 17 मिनट 9 सेकण्ड के भीतर समायोजित करने का प्रयास किया गया है)
इस एपिसोड में -
*प्रतिमापूजन क्यों और कब तक आवश्यक है?
*कौन देवता किस पदार्थ से निर्मित शिवलिंग का पूजन करते हैं।
*शिवपूजन की विधि। मनुष्यजन्म दुर्लभ, उसमें भी उत्तमकुल, उसमें भी सदाचारी ब्राह्मणकुलमें जन्म दुर्लभतम है।
*जिस वर्ण के लिये जो कर्म शास्त्रोंमें बताया गया है उसे वही करना चाहिये।
*ध्यानयज्ञ सर्वोत्तम है।
*प्राणायाम के समय ध्यान का स्वरूप।
*ज्ञानी के लिये भौतिक पूजन आवश्यक नहीं।
*ज्ञानी के लिये विधि-निषेध का बन्धन नहीं।
*जब तक ज्ञान न हो जाय तब तक प्रतिमापूजन और बाह्य पूजा करते रहना चाहिये। जिसे अद्वैत का बोध गया उसको प्रतिमापूजन की आवश्यकता नहीं।
*प्रतिमा अर्थात् सगुण के माध्यम से ही निर्गुण तक पहुँचा जा सकता है। विना अद्वैतबोध हुये जो प्रतिमापूजन छोड़ देता है उसका पतन निश्चित है।
*ज्ञान के मूल हैं गुरु और गुरु सत्संग से मिलते हैं।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati