दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E184. योगसूत्र/गोरक्ष संहिता/गीता। प्राणायाम।रयि और प्राण।प्राणके दश प्रकार, उनके रहनेके स्थान।


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*पञ्च महाभूत समस्त चराचर दृश्यमान जगत रयि है और और उसको चलाने वाली शक्ति प्राण है।
*समष्टि प्राण को सूत्रात्मा भी कहते हैं।
*व्यष्टि प्राणको समष्टि प्राण से एक कर देने पर अखिल ब्रह्माण्ड को नियंत्रित करने की शक्ति आ जाती है।
*सूक्ष्म शरीर मृत्युके समय उदान वायु के माध्यम से शरीर से बाहर निकलता है।
*प्राणोंको वशमें करने का नाम ही प्राणायाम है।
*प्राणयज्ञ
*मनका प्राण से घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्राण को रोकने से मन और मन को रोकने से प्राण का निरोध हो जाता है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati