दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E217. पातञ्जलयोग, सूत्र २.२८-२९- हान और हानोपाय। कैवल्यका अर्थ।अष्टाङ्गयोग।


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इस एपिसोड में-
*द्रष्टा-दृश्य के संयोग का अभाव हान है।
*ज्ञान के उपरान्त अज्ञानजनित संयोग का अभाव हो जाता है।
*केवल पुरुष का रह जाना कैवल्य है।
* विवेक ख्याति हानका उपाय है।
*विवेक ख्याति अर्थात् आत्मा अनात्मा का विवेचन।
*योग के अंगों अर्थात् अष्टांगयोग के अनुष्ठान से विवेकख्याति होती है।
*अष्टाङ्गयोग के अनुष्ठान से क्लेशों का नाश होता है।
*अष्टाङ्गयोग का संक्षिप्त परिचय।
*यम समाज-व्यवहार से सम्बन्धित है, नियम व्यक्तिगत दिनचर्या से सम्बन्धित।
*यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार -यह पाँच बहिरंग साधन हैं। धारणा ध्यान समाधि - यह तीन अंतरंग साधन हैं।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati