दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E232. पातञ्जल योग, सूत्र 2.54-55 - प्रत्याहार और उसका फल।


Listen Later

*योगाभ्यास अर्थात् अष्टांगयोग का क्रम। क्रमशः यम नियम आसन, प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान समाधि।
*प्राणायाम का अभ्यास करते करते मन और इन्द्रियां शोधित हो जाती हैं। तदुपरान्त इन्द्रियों को मन में विलीन करना प्रत्याहार है। इसका शाब्दिक अर्थ है चित्तवृत्ति को बाहर से वापस खींंचना।
*इन्द्रियों का परमात्मासे सीधा सम्बन्ध नहीं।
मन का सम्बन्ध इन्द्रियों से है। इन्द्रियां मन में लीन होती हैं, तदुपरान्त मन परमात्मा में लीन होता है।
*प्रत्याहार का फल - इन्द्रियां वशमें हो जाती हैं।
...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati