दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

E236. पातञ्जल योग, सूत्र 3.6 तस्य भूमिषु विनियोगः। संयम का विनियोग।


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इस एपिसोड में -
*अष्टाङ्ग योगका क्रम।
*योगशास्त्र की प्रक्रिया स्थूल से सूक्ष्म की ओर बढ़ने की है। आवरण की बाह्य परिधियोंको तोड़ते हुये केन्द्र तक आना है।
अतः पहले सामाजिक चरित्र का शोधन करें। तदुपरान्त व्यक्तिगत दिनचर्या संध्यावन्दन इत्यादि। तदुपरान्त आसन फिर प्राणायाम और इससे आगे की प्रक्रिया।
*सूक्ष्म स्थूल से अधिक शक्तिशाली होता है।
*पूर्वजन्म की साधना के अनुसार अष्टाङ्गयोग के क्रम में तेजी भी आ जाती है।
*सिद्धियों का मोह अनिष्टकारी है। सिद्धियों का प्रयोग अथवा चमत्कारों का प्रदर्शन साधक और समाज दोनों के लिये हानिकर है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati