YASARIM EL BIBLE STUDY PODCASTE HINDI URDU

एक सौ बीस EK SAU BIS


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उत्पत्ति 6मनुष्य जाति की दुष्‍टता1फिर जब मनुष्य भूमि के ऊपर बहुत बढ़ने लगे, और उनके बेटियाँ उत्पन्न हुईं, 2तब परमेश्‍वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा, कि वे सुन्दर हैं, और उन्होंने जिस जिसको चाहा उनसे विवाह कर लिया। 3तब यहोवा ने कहा, “मेरा आत्मा मनुष्य से सदा लों विवाद करता न रहेगा, क्योंकि मनुष्य भी शरीर ही है; उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी।” 4उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे; और इसके पश्‍चात् जब परमेश्‍वर के पुत्र मनुष्य की पुत्रियों के पास गए तब उनके द्वारा जो पुत्र उत्पन्न हुए वे शूरवीर होते थे, जिनकी कीर्ति प्राचीनकाल से प्रचलित है।5यहोवा ने देखा कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है वह निरन्तर बुरा ही होता है। प्रेरितों 1: 15उन्हीं दिनों में पतरस भाइयों के बीच में जो एक सौ बीस व्यक्‍ति के लगभग थे, प्रेरितों 2पवित्र आत्मा का उतरना1जब पिन्तेकुस्त का दिन आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे। 2एकाएक आकाश से बड़ी आँधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उससे सारा घर जहाँ वे बैठे थे, गूँज गया। 3और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं और उनमें से हर एक पर आ ठहरीं। 4वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे।

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YASARIM EL BIBLE STUDY PODCASTE HINDI URDUBy Yasarim El