एपिसोड 656. श्रीमद्भगवद्गीता का लक्ष्य है , इसको सुनने-पढ़ने वाले के शोक की आत्यंतिक निवृत्ति।
श्रीमद्भगवद्गीता का लक्ष्य है , इसको सुनने पढ़ने वाले के शोक की आत्यंतिक निवृत्ति। ध्यातव्य है कि भगवान् के उपदेश का आरम्भ और अन्त दोनों ही शोकनिवारक वचनों के साथ होता है - "अशोच्यानन्वशोचस्त्वं ..(2/11)" से आरम्भ होकर "मा शुचः (18/66)" पर समापन।
एपिसोड 656. श्रीमद्भगवद्गीता का लक्ष्य है , इसको सुनने-पढ़ने वाले के शोक की आत्यंतिक निवृत्ति।
श्रीमद्भगवद्गीता का लक्ष्य है , इसको सुनने पढ़ने वाले के शोक की आत्यंतिक निवृत्ति। ध्यातव्य है कि भगवान् के उपदेश का आरम्भ और अन्त दोनों ही शोकनिवारक वचनों के साथ होता है - "अशोच्यानन्वशोचस्त्वं ..(2/11)" से आरम्भ होकर "मा शुचः (18/66)" पर समापन।