दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

Episode 628. भगवद्गीता, 3/1-3


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ज्यायसी चेत्कर्मणस्यते मता बुद्धिर्जनार्दन।
तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव।।
अर्जुन ने प्रश्न किया - हे केशव! यदि आप ज्ञानयोग को कर्मयोग से श्रेष्ठ कहते हैं, तो मुझे घोर हिंसात्मक युद्धकर्म में क्यों लगा रहे हैं?
वस्तुतः चार पक्ष विचारणीय हैं -
1. मोक्ष केवल ज्ञान से मिलता है।
2. मोक्ष केवल निष्कामकर्म से मिलता है।
3. मोक्ष निष्कामकर्म और ज्ञान दोनों के संयुक्त अनुष्ठान से मिलता है।
4. निष्कामकर्म से अन्तःकरण शुद्ध करके, तदुपरान्त ज्ञान प्राप्त करने से मोक्ष मिलता है।
(श्लोक 2, 3 और व्याख्या सुनने के लिये आडियो प्ले करें)
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati