दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

Episode 93. पातञ्जल योगसूत्र 1.2 योगकी परिभाषा (भाग 1)


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सूत्र 2 "योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः" की व्याख्या (भाग 1)। चित्त में प्रति सेकेण्ड हजारों लाखों विचार आते हैं। चित्तके करोणों विचारों में से कोई एक हमको स्मरण में रहता है। जो स्मरणमें रहता है उसमेंसे कोई एक हमारे लिये उपयोगी होता है।
चित्तकी पाँच अवस्थाओं - मूढ़, क्षिप्त, विक्षिप्त, एकाग्र और निरुद्ध का विवेचन।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati