*योगसूत्र में सिद्धियों के वर्णन का मुख्य उद्देश्य है साधनाके प्रति श्रद्धा उत्पन्न करना।
*मैत्री करुणा मुदिता और उपेक्षा का फल।
*जिसमें दृढ़ एकाग्रता हो जाती है उसकी शक्ति आ जाती है।
*नाभिचक्र में ध्यान करने से शरीर के व्यूह का ज्ञान हो जाता है।
*कण्ठकूप में ध्यान करनेसे भूख-प्यास की बाधा मिट जाती है।
*चित्त की गति का भलीभांति ज्ञान हो जाने से कर्मसंस्कार समाप्त हौकर परकाया प्रवेश की क्षमता आ जाती है।
*इन्द्रियां चित्तके साथ ही रहती हैं।