
Sign up to save your podcasts
Or


यह मामला मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) के 10.09.2024 के फैसले के खिलाफ दायर दो अपीलों से संबंधित है, जिसने ट्रायल कोर्ट द्वारा भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 302 और 34 के तहत लगाई गई दोषसिद्धि और सजा की पुष्टि की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों अपीलार्थियों, एस्साकिमुथु (A2) और पिचू मणि @ पिचाई मणि (A1) को बरी कर दिया, जिसमें अभियोजन पक्ष के मामले में महत्वपूर्ण कमियों और गवाहों की गवाही की अविश्वसनीयता पर प्रकाश डाला गया।
By Scoot Legal Translation and Transcription Servicesयह मामला मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) के 10.09.2024 के फैसले के खिलाफ दायर दो अपीलों से संबंधित है, जिसने ट्रायल कोर्ट द्वारा भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 302 और 34 के तहत लगाई गई दोषसिद्धि और सजा की पुष्टि की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों अपीलार्थियों, एस्साकिमुथु (A2) और पिचू मणि @ पिचाई मणि (A1) को बरी कर दिया, जिसमें अभियोजन पक्ष के मामले में महत्वपूर्ण कमियों और गवाहों की गवाही की अविश्वसनीयता पर प्रकाश डाला गया।