साल 1700 के आसपास की बात होगी. केचअप का पहला वर्जन तभी दिखा. जगह थी चीन. लेकिन तब ये टोमैटो केचअप नहीं था और न ही केचअप को केचअप कहते थे. चीनी इतिहासकार गेन झाऊ ने लिखा है कि तब इसे गेचप कहते थे या कुछ जगहों पर कोएचप. मछलियों से या सोयाबिन से इसे तैयार किया जाता था. कुछ ही साल में बढ़ते बढ़ते ये इंग्लैंड भी पहुँच गया. और यहाँ इसका यूज भी बदला. फिश केचप या सोया केच अप टोमैटो केचप बन गया. यहीं चीन का गेचअप या कोएचप केचअप कहलाया. इंग्लैंड में आने के कुछ ही साल में लेमन केचअप भी बनने लगा. यहाँ तक की मशरूम केचअप भी. लेकिन लेकिन लेकिन ये सारे केचअप टोमैटो केचअप सी पॉप्युलेरिटी नहीं पा सके. तब एक साइंटिस्ट हुए थे डॉक्टर जॉन कुक. उन्होंने साल 1834 में ये आइडिया दिया था कि टोमेटो केचअप को डायरिया, इनडाइजेशन और पीलिया की दवा की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. बस फिर क्या था केचप मेडिकल स्टोर्स पर मिलने लगा. सुनिए केचअप के इतिहास की पूरी कहानी ‘इति इतिहास’ में.