चुनार में, हर लड़की जो आपसे बड़ी थी, वो आपकी दीदी और बड़े लड़के, भईया थे। आपकी उम्र वाली लड़की, एक शर्त पे दोस्त हो सकती है, अगर उसके मम्मी या पापा, आपके मम्मी या पापा के दोस्त है, लेकिन बहन तो वो भी 100 फीसदी है, चाहे मम्मी पापा दोस्त हो या ना हो, बात साफ, है। मेरी मानिए इस बात पे हैरिसन का ताला भी, लॉक कर दीजिए वर्ना अमिताभ जी चुनार के चार और ऑप्शन बता के बोलेंगे लॉक किया जाए... हाय.....?
चुनार के स्कूल में कुछ बातों का चलन पुरातन काल से था,उनमे से एक ये की, ज्यादा तर जूनियर अपने सीनियर्स की पुरानी किताबें मांग कर पढ़ते थे, और दूसरा ये की हर प्रिलिम्स एग्जाम में हमे सीनियर्स के साथ ही एग्जाम देने बैठा दिया जाता । मसलन एक डेस्क पे क्लास 7th के बालक के साथ, क्लास 8th का बालक, एक साथ एग्जाम देने बैठता था, ।
अब डेस्क पे आपके साथ नर सीनियर्स होगा या मादा सीनियर ये भाग्य के गोलमाल पे निर्भर करता था । और यहीं भाग्य आपको एग्जाम में पास भी करा देता, यदि आपके साथ कोई सीनियर दीदी है । दीदी लोग अक्सर पढ़ने में तेज हुआ करती थी, भइया लोग हम जूनियर से ही "बी" कॉपी के बहाने अपना एक दो सवाल चिट पकड़ा के करवाने लगते । कई लड़के तो इसीलिए फेल हो गए क्योंकि उन्हें अपनी कॉपी भरने का टाइम ही नहीं मिला ।
आगे की कथा विस्तार में, हर साल एग्जाम के बाद हम सारे बच्चे, स्कूल के सीनियर्स लडक़े और लड़कियों के घर पहुच जाते और उनसे किताबें मांगते थे।
किताब लेने की एक होड़ सी मच जाती थी, कई बार अगर किताब मांगने में देर कर दी तो, खाली हाथ भी लौटना पड़ता था, क्योंकि फला सीनियर ने अपनी किताब आपके ही दोस्त को दे दी, जिसे आपने ही ये गुप्त सूचना दी थी, कि कल आप पिंटू भईया या मिट्ठू दीदी से किताब मांगने जावोगे ।
अब कल किसने देखा है, आपका दोस्त तो आपकी नजर में उल्लू है तो उल्लू, उसी रात ही मिठू दीदी से किताब उड़ा ले गया, और आपको अगली सुबह मिलता था, मिठू दीदी का गुरु चेला बना हुआ ठेंगा ।
आगे इस समस्या से निपटने के लिए हम लोग एग्जाम के बाद अपने किस किस सीनियर्स से किताब मांगने वाले है, इस बात की ख़बर अपने सबसे सच्चे साथी को भी नहीं देते।
बड़ा ही अराजकता का माहौल रहता, कुछ चालू चकोर लड़के किताबों के कई सेट सीनियर्स से मांग लेते ।
दुस्ट चकोर लड़के, हर वक्त चांद जैसे सीनियर्स के पीछे पीछे लगे रहते, किताब के बदले में उन्हें फला भईया का लव लेटर और गुलाब, फला दीदी तक पहुचाना पड़ता, अगर ग्रह नक्षत्र सही हुए तो मामला सेट और एक सब्जेक्ट के दो सेट या एक जोड़ी किताबे हासिल हो जाती थी,
क्योंकि एक भईया ने दी, एक दीदी ने ।
अब ये दो सेट किताबों वाले चकोर, स्कूल खुलते ही किताबो के माफिया बन जाते। ये माफिया किताबों की अवैध तस्करी करते, और किताबे अधिया दाम (half rate) पे बेच देते, बाद में उन पैसों से चूरन, मलाई बर्फ, मलाई पूरी, और आखिर में चिनिया बादाम, काला नमक के साथ खा के पूरे क्लास को बदहजमी और गैस के हिचकोले का हवाई अड्डा बना देते थे ।