कल थी काशी, आज है बनारस

Mahadev ka हठयोगेस्वर रुप, जो धरती पर नहीं निवास करते


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आज की कहानी बड़ी ही विचीत्र और रोचक है. देवी सती के यज्ञ में प्राण त्याग देने के उपरांत महादेव उनके शव को अपने हाथों में लेकर समस्त धरा पर भ्रमण करते हैं. रुदन करते हैं.. समय का ध्यान नही रहता. उनका शांत स्वरूप अब अशांत और भयंकर दिखने लगा है. नारायण आकर देवी सती के शव को सुदर्शन से 51 खण्डों में बांटते हैं धरती पर 51 खण्ड पीठों का निर्माण होता है. परंतु नारायण शिव को शांति नहीं दे पाते. शिव व्यथित मन से विचरण करते रहते हैं. महादेव को शांति प्रदान करने के लिए श्रृषिमुनियो द्वारा तप किया जाता है. शिव योगी रुप में रुदन करते हुए सती सती पुकारते हुए श्रृषिमुनियो के आश्रम से गुजरते है बेसुध महादेव के इस रुप को समक्ष नहीं पाते ऋषि गण तप भंग से क्रोधित होकर महादेव को पाताल लोक में जाने का श्राप देते हैं. महादेव हठयोगी रुप में ही पाताल चले जाते हैं. और वहा पर दानव, भूत, प्रेत और तामसिक गुण के जीव उनको अपना गुरु मानकर ध्यान रखते हैं और पूजन करते हैं. यहाँ धरती पर प्रलय सा आरंभ हो जाता है. देवराज इंद्र को ज्ञात होता है कुछ अनिष्ट हुआ है वो धरती पर जाकर ऋषि से बात करते हैं उनको बताते हैं कि ऋषि मुनियों से अपराध हुआ है. उन्होंने अपने महादेव को ही पाताल भेज दिया. यह सत्य सुन कर ऋषि बहुत व्यथित होते हैं. पश्चात करने के लिए भविष्य की घटना को देख कर इंद्र देव को बताते हैं कि महादेव के दुख को कम करने के लिए उनको बताया जाये कि उनकी शक्ति का जन्म होगा पुनः जल्द ही.. देवता और ऋषि महादेव से प्रार्थना करते हैं वो धरा पर महादेव स्वरूप में निवास करे. ताकि सृष्टि का विनाश ना हो. हठयोगी शिव पाताल से धरा पर आते हैं और फटकार लगाते हैं ऋषि मुनियों को. इंद्र मनुहार करते हैं महादेव का. उनको ऋषि मुनियों के भूलवश श्राप देने और देवी सती के पुनः जन्म का सत्य बताते हैं. शिव का रुद्र रुप कुछ शांत होता है और फिर महादेव से एक अंश निकलता है जो धरती पर रहते हैं और अपने कार्य का वहन करते हैं. हठयोगी शिव पाताल में जाकर तामसिक शक्ति को संरक्षण देते हैं. परंतु वह वहाँ भी देव ही है. एक मात्र देव जो पाताल लोक में रहते हैं. हैं ना रोचक और रहस्य मयी कथा. अभी तो यह आरंभ है. जितने निराले महादेव है उतनी ही निराली काशी. काशी में शिव है या शिवमय काशी. अंतर करना मुश्किल है. इस जीवन में मैं मेरे महादेव के सहस्त्रौ वर्षों के जीवन चक्र की समस्त घटना और जीवन तो नहीं परंतु जानने योग्य कथाओं को आप तक पहुंचाने का प्रयास जरूर करुंगी. आप भी एक छोटा प्रयास करें बस इन कथाओं को लोगों तक पहुंचाने में मेरी सहायता करें. पॉडकास्ट पर मेरी इस काशी यात्रा की कहानियों को सभी लोगों तक पहुंचाए. आपको बस शेयर करना है यह लिंक जो मैं आपसे साझा करुंगी. आपकी आभारी बनारसी सिंह.
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कल थी काशी, आज है बनारसBy Banarasi/singh