01.18.2016 - By Samskrita Bharati
अयि रण-दुर्मद-शत्रु-वधोदित-दुर्धर-निर्जर-शक्तिभृते चतुर-विचार-धुरीण-महाशिव-दूतकृत-प्रमथाधिपते । दुरित-दुरीह-दुराशय-दुर्मति-दानवदूत-कृतान्तमते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥