Vedic Broadcast

ऋग्वेद मण्डल 1. सूक्त 6. मंत्र 2 - यानों का निर्माण क्यों आवश्यक है?


Listen Later

यु॒ञ्जन्त्य॑स्य॒ काम्या॒ हरी॒ विप॑क्षसा॒ रथे॑। शोणा॑ धृ॒ष्णू नृ॒वाह॑सा॥ - ऋग्वेद (1.6.2)


पदार्थ -


हे विद्वान् लोगो ! (अस्य) सूर्य्य और अग्नि के (काम्या) सब के इच्छा करने योग्य (शोणा) अपने-अपने वर्ण के प्रकाश करनेहारे वा गमन के हेतु (धृष्णू) दृढ (विपक्षसा) विविध कला और जल के चक्र घूमनेवाले पांखरूप यन्त्रों से युक्त (नृवाहसा) अच्छी प्रकार सवारियों में जुड़े हुए मनुष्यादिकों को देशदेशान्तर में पहुँचानेवाले (हरी) आकर्षण और वेग तथा शुक्लपक्ष और कृष्णपक्षरूप दो घोड़े जिनसे सब का हरण किया जाता है, इत्यादि श्रेष्ठ गुणों को पृथिवी जल और आकाश में जाने आने के लिये अपने-अपने रथों में (युञ्जन्ति) जोड़ें॥


------------------------------------------------------------

(भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी)

(सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)

--------------------------------------------------------------

हमारे पॉडकास्ट का अनुसरण करें:

Spotify - https://spoti.fi/3sCWtJw

Google podcast - https://bit.ly/3dU7jXO

Apple podcast - https://apple.co/3dStOfy

Whatsapp पर प्रतिदिन पॉडकास्ट के एपिसोड प्राप्त करें: https://chat.whatsapp.com/IrQUAuWQ2410v2DWZ68hPU

-------------------------------------------

हमसे संपर्क करें: [email protected]

--------------------------------------------

...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

Vedic BroadcastBy This podcast is brought to you by Gaurashtra.com