नमस्कार मित्रों आप सभी को सावन के पावन माह की बहुत बहुत शुभकामनाएं. महादेव सबकी रक्षा करें और स्वास्थ्य लाभ दें. आप सभी अपना और अपने परिवार का ध्यान रखें. आपकी वाचक बनारसी सिंह लेकर आयी है आप सभी के लिए सावन महिने से जुड़ी कुछ पौराणिक और स्मृति आधारित कथाएँ. क्या हैं यह कहानियाँ जानने के लिए मेरे द्वारा संचालित पॉडकास्ट को जरूर सुने. सनातन शहर काशी के बनारस बनने की इस अद्भुत यात्रा में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है. आज से एक दो दिन पहले पूर्णिमा थी. उससे पूर्व देवशयनी एकादशी थी. इस दिन से देव दिवाली तक चार मास के लिए विष्णु जी विश्राम करते हैं. इसे चौमासा कहते हैं. यह साधु संतों और शैव पंथ के साथ सभी हिन्दू और सनातनी लोगों के लिए बहुत खास समय होता है. इसे वैदिक यज्ञ कहा जाता है. यह एक पौराणिक व्रत है जिसमें शिव जी को पालनहार का काम करना होता है इस चौमासा माह में. इसकी शुरुआत सावन में होती है. सावन वैसे तो 25 जुलाई से आरम्भ है. पर आज सावन का पहला सोमवार है. इस दिन से सभी शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. कावड़ यात्रा का पूरे उत्तर भारत में बहुत प्रचलन है. इस बार यह यात्रा स्थगित है पर हर बार हजारों की संख्या में शिव भक्त कावड़ लेकर भोले बाबा का जलाभिषेक करने लंबी यात्रा करते हैं. बारह ज्योतिर्लिंगों में जाकर अपने व्रत के संकल्प अनुसार जलाभिषेक करते हैं. यह पदयात्रा होती है. अब तो लोग गाड़ी और अन्य साधनों का उपयोग करते हैं पर पहले यह पैदल यात्रा होती थी. कहते हैं सदाशिव धरती में व्यापत जल का स्त्रोत हैं इसलिए उनको जलाभिषेक इस माह में करना फलदायी है. बाबा जल्दी प्रसन्न होते हैं. एक कथा ऐसी है कि बाबा धरती पर इस दिन आये और अपने ससुराल गये वहां उनका स्वागत जलाभिषेक और अर्घ्य देकर किया गया तब से यही मान्यता हैं कि इस समय में ज्ञ शिव जी धरती पर होते हैं. उनको जलाभिषेक कर भक्त अपनी श्रद्धा व्यक्त कर उन्हें जल्द प्रसन्न कर सकता है. अन्य भी बड़ी ही अदभुत कहानियाँ हैं सावन से जुड़ी. सावन के चार सोमवार में व्रती उपवास कर शिव मय होने का प्रयास करते हैं. शिव से जो भी मिला उन्हें सप्रेम समर्पण कर उनसे कृपा पाने का भरसक प्रयास करते हैं. काशी में यह पर्व रोज ही मनता है पर सावन में काशी पूर्णतः शिव पुरी बन जाता है. सभी उनके बच्चे पिता को सुबह शाम आभार करते हैं. गंगा जल ले जाकर अभिषेक करते हैं. मंगला आरती से रात्रि के शयन आरती तक शिव जी भक्तो को बस सुनते रहते हैं. कोई बाबा को धन्यवाद कहता है. कोई अपना दुख कहता है कोई रक्षक बनने की मांग करता है. यहाँ बाबा अपने बारह रुपों में विराजमान होकर हर काशी वाशी का न्याय करते हैं. काशी का हर कण शिव है और शिव हर कण में हैं. यह अनुभव आपको अकस्मात हो जाता है. ऐसी देव प्रिय काशी में बसने के लिए शिव जी को भी एक संघर्ष करना पड़ा था कभी वो कहानी कभी और. पर जिसकी रमणीय और प्रकृति पर स्वयं शिव मोहित होन ऐसी काशी में कौन नहीं आना चाहेगा. काशी विश्वनाथ मे बाबा वामांगी होकर शक्ति के साथ विराजते हैं. यह गृहस्थ शंकर और पार्वती की नगरी काशी है. जहाँ सावन कभी खत्म नहीं होता. बस हर दिन रात्रि शिव रात्रि और दिन सावन है. सावन के माह में बाबा की पूजा नहीं किया तो क्या किया. कबीर दास जी कहते हैं ना कि पांच पहन काम किया, तीन पहर सोय के खोये, एक पहर भी ईश्वर को नहीं भजा तो भवसागर पार कैसे होगा. तो ॐ नमः शिवाय बोलते रहिए. बाबा सब ठीक कर देंगे. दुनिया की रक्षा के लिए जिसने हलाहल पिया वो अपने भक्तों को तारेगा नहीं. असंभव है. शिव जी के लिए सब संभव है. वो कुछ नहीं होकर भी सब कुछ हैं. ऐसे महादेव को मेरा प्रणाम है. फिर मिलेंगे एक नयी कहानी के साथ बहुत जल्द नमः पार्वती पतये हर हर महादेव...!