दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

श्री मणिरत्नमाला भाग 5 श्लोक 4-5


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शत्रु कौन है - आपकी इन्द्रियां। मित्र कौन - वही इन्द्रियां यदि आपके वशमें हैं तो मित्र हैं। सुखसे कौन सोता है- समाधिनिष्ठ।जगा हुआ कौन है- जो सत् और असत् में अन्तर जानता है। दरिद्र कौन - जिसकी तृष्णा बडी़। धनवान् कौन - जो संतुष्ट है। मृत कौन - जो उद्यम नहीं करता। अमृत क्या है - इच्छाओं का त्याग।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati