शत्रु कौन है - आपकी इन्द्रियां। मित्र कौन - वही इन्द्रियां यदि आपके वशमें हैं तो मित्र हैं। सुखसे कौन सोता है- समाधिनिष्ठ।जगा हुआ कौन है- जो सत् और असत् में अन्तर जानता है। दरिद्र कौन - जिसकी तृष्णा बडी़। धनवान् कौन - जो संतुष्ट है। मृत कौन - जो उद्यम नहीं करता। अमृत क्या है - इच्छाओं का त्याग।