Storywala Smrit (स्टोरीवाला स्मृत)

Sweety ka lover Jigar jango (स्वीटी का लवर जिगर जैंगो) हास्य से भरपूर पलंगतोड़ प्रेमकथा💐


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घर-परिवार से हमको दो चीजें विरासत में मिली है। नंबर एक, जाति से क्षत्रिय है, दूसरा ये की  "खून खराबा तो खून में है" । 
मेरे बाबा, 112 साल के है ,वो पहले अंग्रेजों की सेना में थे , फिर आजादी बाद भारतीय फौज में ट्रांसफर ले लिए। मेरा दोस्त निरमा, उर्फ नीलकमल, बाबा का बहुत मजा लेता है, बोलता है, बाबा द्वितीय वर्ल्ड वार में, अंग्रेजों की तरफ से हिटलर का हिलाने गए थे।
माई डिअर फ्रेंड है "निरमा", इसलिए हम भी उसकी बात का बुरा नहीं मानते, लेकिन बाबा कबर में लटके जिंदा कारतूस है, कभी भी बैक फायर कर सकते है और निरमा, वाशिंग पावडर की तरह दुनिया से साफ हो जाएगा ।
खैर, मुद्दे की बात तो बताना हम भूल ही गये,
मेरा नाम " जिगर जैंगो है" उम्र 16 साल , कद पापा के कंधे इतना, रंग गेहुआ साँप जैसा, इसलिए, पापा बोलते है, मम्मी से की
"नारायण तुम सपोला पैदा की हो" ।
मम्मी का नाम तारा है, लेकिन हम उनका नाम ट्विंकल बताते है। पापा, मम्मी को नारायण बोलते है क्योंकि वो रात भर गंगा से रेता निकलवाने का काम करते है।  दिन में सोते रहते है और उनको पूजा पाठ का टाइम नहीं मिलता है । इसलिए मम्मी को ही नारायण नारायण बोल के भगवान का जाप भी कर लेते है और जब देखो तब उनको पगलवाते भी रहते है ।
मेरा नाम "जिगर" बाबा ने रखा था और जैंगो उपनाम हम टारनटिनो(Tarantino) का सिनेमा देख के रख लिए क्योंकि एक्शन में हम, हनुमान जी, जितना भरोसा करता हूं।
"टारनटिनवा" गजब मार, धाड़, गोली, बन्दूक वाला सिनेमा बनाता है। जैंगो फ़िल्म देखते ही, क्लास टीचर बरसाती पांडे को भांग का पेड़ा खिला के बोर्ड परीक्षा में अपना नाम जिगर सिंह से "जिगर जैंगो" करा लिए । फिर पापा बहुत तोड़े हमको, दुन्नो चबूतरा सूजा दिए थे।
हमको बचाने के चक्कर में मम्मी को भी, पापा का एक हाथ गलती से लग गया लेकिन मम्मी एक नंबर की हेरोइन है, हाथ लगते ही भन्न से बेहोश हो गयी, फिर समझ में आया कि, पापा का फ़ोकस हमसे शिफ्ट करने के लिए मम्मी ने ये स्वांग रचा है  ।
खैर होनी को कौन टाल सकता है। बाद में पापा, मम्मी के सर पे तेल रख रहे थे । तब हमको अहसास हुआ कि एक्शन भरी दुनिया में, रोमांस जैसी भी कोई चीज होती है ।
इसी रोमांस के साथ, अब जाके  छिड़ी बात "स्वीटी" की जिसको हम दिलो जान से चाहते है, लेकिन उसने हमें कालांतर तक फ्रेंड जोन कर रखा था।
इसकी दो वजहें है।
पहला, पढ़ने में हमसे बहुत ज्यादा तेज है, पढ़ाकू कहीं की।
दूसरा, हमारी तरह सिनेमा बहुत देखती है और उन फिल्मों से उसकी बहुत फटती है जिसमें उसने देख रखा है कि, ठाकुरों के लड़के ,लड़कियों को प्यार में, या जबरन उठा ले जाते है और साले, प्रेग्नेंट कर देते है ।
"सॉरी गाली मुँह से निकल गई, एक दो बार और फिसल जाये तो क्षमा प्रार्थी  हूँ। बनारस में गाली "स्लैंग के रुप बोला जाता है, लेकिन गाली दिया नहीं जाता है।"
अब सीधे मुद्दे पे आते है स्वीटी के प्यार में हम अपने घर का लैटरीन साफ किये , सीवेज का ढक्कन खोल के पप्पल मेस्तर के साथ अंदर गए  साला हमको तब पता चला कि एथेन- मेथेन गैस और मलमूत्र कैसे इकठ्ठा होकर पाइप में सड़ता रहता है। हम गटर के भीतर,बदबू से  मर ही गए होते अगर पप्पल बचाता नहीं हमको । असल में हमे तब पता चला की पप्पल, जान हथेली पे रख के मैला, पाइप को साफ करता है। महादेव की कसम हमे गटर में ही असली ज्ञान प्राप्त हुआ और हम 'पप्पल मेस्तर' को "पप्पल भाई" कहने लगे ।
आगे स्वीटी के कहने पे, हम मणिकड़िका घाट पे डोम भाई लोगों के साथ लकड़ी काटे, उठाये जिसपे लिटा के मुर्दा फूंका जाता है ।
इसके बाद भी स्वीटी नहीं मानी और विश्वामित्र की तरह हमारे विश्वास की परीक्षा लेती रही । आगे स्वीटी के कहने पे,  गंगा आरती देखने आए टूरिस्ट लोगों को, ढक्कन मल्लाह की नाव पे बिठा के तीन फेरा पूरी गंगा घुमाए ।
आप लोगों को ये सुनकर, मजा तो बहुत आ रहा होगा लेकिन हाथ बहुत दुखता है, कभी चप्पू चला के देखिए, पिछवाड़ा फट के हाथ में आ जायेगा । एक दिन गुस्से में मैंने स्वीटी का दिया हुआ टास्क, पूरा करने से मना कर दिया और स्वीटी हम से कह के चल दी कि, तुम उसके दिए टास्क में फेल हो गए और हमसे बात करना बंद कर दिया।
लेकिन अभी असली एक्शन होना बाकी था । हम स्वीटी की इज्जत बचाये, जब गली के गुंडे बोतल बम्फाट ने उसे और उसकी साइकिल दोनो को बीच सड़क रोक रखा था। तब हमको पता चला कि बाहर से अंग्रेजी में बोलने और हमारे साथ इतनी सख्ती करने वाली "कुमारी स्वीटी" अंदर से कितनी दब्बू है ।
बोतल साला बनारस का नामी पहलवान था और हम उसके शरीर के 1 बटा 4 भी नहीं थे, बोतल हमको पटक पटक के पिटता रहा लेकिन हम भी उसको स्वीटी को छूने तक नहीं दिए। एक्सरे रिपोर्ट में हमारी बॉडी की कोई हड्डी नहीं बची थी,
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Storywala Smrit (स्टोरीवाला स्मृत)By Smrit Singh