दैव मूर्खों की कोरी कल्पना के अतिरिक्त कुछ नहीं। पूर्वजन्मका पुरुषार्थ ही इस जन्मका दैव है जिसका निवारण वर्तमानके पुरुषार्थ से होता है। पुरुषार्थ शास्त्रानुसार होना चाहिये।
दैव मूर्खों की कोरी कल्पना के अतिरिक्त कुछ नहीं। पूर्वजन्मका पुरुषार्थ ही इस जन्मका दैव है जिसका निवारण वर्तमानके पुरुषार्थ से होता है। पुरुषार्थ शास्त्रानुसार होना चाहिये।