Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

01-21-22


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01-21

सेनयोरुपयोर्मध्ये सथं स्थापय मेऽच्युत॥ 01.21॥

पदच्छेतः

सेनयोः, उपयोः, मध्ये, रथम्, स्थापय, मे, अच्युत।

पदपरिचयः
पदम्
विवरणम्
पदम्
विवरणम्
सेनयोः
आ. स्त्री. ष. द्विव.
उपयोः
आ. स्त्री. ष. द्विव.
मध्ये
अ. पुं. स. एक.
रथम्
अ. पुं. द्वि. एक.
स्थापय
स्था-पर. कर्तरि. लोट् मपु. एक.
मे
अस्मद्-द. सर्व. ष. एक.
अच्युत
अ. पुं. सम्बो. एक.
पदार्थः
पदम्
अर्थः
पदम्
अर्थः
अच्युत
हे कृष्ण!
सेनयोः
सैन्ययोः
उपयोः
द्वयोः
मध्ये
अन्तरे
मे
मम
रथम्
स्यन्दनम्
स्थापय
नीत्वा स्थापय
अन्वयः

अच्युत! सेनयोः उपयोः मध्ये मे रथं स्थापय।

आकाङ्क्षा
स्थापय
किं स्थापय?
सथं स्थापय।
कस्य सथं स्थापय?
मे सथं स्थापय।
कुत्र मे सथं स्थापय?
मध्ये मे सथं स्थापय।
कयोः मध्ये मे सथं स्थापय?
उपयोः मध्ये मे सथं स्थापय।
कयोः उपयोः मध्ये मे सथं स्थापय?
सेनयोः उपयोः मध्ये मे सथं स्थापय।
अस्मिन् वाक्ये सम्बोधनपदं किम्?
अच्युत।
तात्पर्यम्

हे कृष्ण! अनयोः कौरवपाण्डवसेनयोः मध्यभागे मम रथं स्थापय।

व्याकरणम्

सेनयोरुपयोर्मध्ये सथं स्थापय मेऽच्युत॥

सन्धिः
सेनयोरुपयोर्मध्ये
सेनयोः + उपयोः
विसर्गसन्धिः (रेफः)।
उपयोः + मध्ये
विसर्गसन्धिः (रेफः)।
सथं स्थापय
रथम् + स्थापय
अनुस्वारसन्धिः।
मेऽच्युत॥
मे + अच्युत
पूर्वरूपसन्धिः।
समासः
अच्युतः
न + च्युतः
नञ्-तत्पुरुष।

01-22

यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान्।
कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन्रणसमुद्यमे।।1.22।।

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