हनुमान बाहुक, गोस्वामी तुलसीदास जी की बाहुओं में बात व्याधि की गहरी पीड़ा उत्पन्न हुई थी और फोड़े फून्सियों के कारण सारा शरीर वेदना का स्थान बन गया था उसके निवारण हेतु हनुमान जी की वंदना आरंभ की। अंजनीकुमार की कृपा से उनकी सारी व्यथा दूर हो गई यह वही 44पद्यों का हनुमान बाहुक नामक प्रसिद्ध स्तोत्र है।