139.परमात्माकी प्रसन्नानि लिये 2 साधन, सेवा और स्मरण ।;2: हंस हंसेन की कथा- पुत्रके पाप पुण्यसे मातापिताकी दुर्गति-सद्गति।;युधिष्ठिरकी चिंता और, नारदजीका समाधान, संत सदा सत्य बोलते हैं। मुखमें माँ यशोदाको ब्रह्मांडका दर्शन कराके हैं भगवान कृष्ण.
139.परमात्माकी प्रसन्नानि लिये 2 साधन, सेवा और स्मरण ।;2: हंस हंसेन की कथा- पुत्रके पाप पुण्यसे मातापिताकी दुर्गति-सद्गति।;युधिष्ठिरकी चिंता और, नारदजीका समाधान, संत सदा सत्य बोलते हैं। मुखमें माँ यशोदाको ब्रह्मांडका दर्शन कराके हैं भगवान कृष्ण.