।श्री हरिकथा।

153.बाल स्वरूप बाल मुकुन्द ।


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153.
करारविन्देन पदारविन्दम् मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्।वटस्य पत्रकार फुटे शतांश बालों मुकुन्दम् मनसा स्मरामि।।
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।श्री हरिकथा।By yashodama