Gita For Life

16 श्रीमद् भगवद्गीता - स्वनिर्माण द्वारा जीवन निर्माण कि प्रक्रिया- भाग 02


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हम जिस प्रकार के कर्म करते हैं ( सात्विक कर्म, राजसिक कर्म, तामसिक कर्म) उसी प्रकार के कर्ता ( सात्विक कर्ता, राजसिक कर्ता, तामसिक कर्ता) बन  जाते हैं जिस प्रकार के करता होते हैं उसी के अनुरूप हमारी बुद्धि ( सात्विक बुद्धि , राजसिक बुद्धि , तामसिक बुद्धि ) निर्मित होती है जैसे हमारी बुद्धि है वैसे हमारी धारणा ( सात्विक धारणा, राजसिक धारणा, तामसिक धारणा) और जैसी धारणा होती है उसी अनुरूप हम सुख का चुनाव करते हैं और जिस प्रकार का सुख  ( सात्विक सुख , राजसिक सुख , तामसिक सुख ) हम चुनते हैं उसके अनुरूप हमारा स्वभाव निर्मित होता है जैसा हमारा स्वभाव है वैसा ही हमारा जीवन है | 

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All by the grace of Guru ji,
Brahmleen Sant Samvit Somgiri Ji Maharaj.

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Gita For LifeBy Kamlesh Chandra