
Sign up to save your podcasts
Or


हम जिस प्रकार के कर्म करते हैं ( सात्विक कर्म, राजसिक कर्म, तामसिक कर्म) उसी प्रकार के कर्ता ( सात्विक कर्ता, राजसिक कर्ता, तामसिक कर्ता) बन जाते हैं जिस प्रकार के करता होते हैं उसी के अनुरूप हमारी बुद्धि ( सात्विक बुद्धि , राजसिक बुद्धि , तामसिक बुद्धि ) निर्मित होती है जैसे हमारी बुद्धि है वैसे हमारी धारणा ( सात्विक धारणा, राजसिक धारणा, तामसिक धारणा) और जैसी धारणा होती है उसी अनुरूप हम सुख का चुनाव करते हैं और जिस प्रकार का सुख ( सात्विक सुख , राजसिक सुख , तामसिक सुख ) हम चुनते हैं उसके अनुरूप हमारा स्वभाव निर्मित होता है जैसा हमारा स्वभाव है वैसा ही हमारा जीवन है |
Support the show
All by the grace of Guru ji,
Brahmleen Sant Samvit Somgiri Ji Maharaj.
By Kamlesh Chandraहम जिस प्रकार के कर्म करते हैं ( सात्विक कर्म, राजसिक कर्म, तामसिक कर्म) उसी प्रकार के कर्ता ( सात्विक कर्ता, राजसिक कर्ता, तामसिक कर्ता) बन जाते हैं जिस प्रकार के करता होते हैं उसी के अनुरूप हमारी बुद्धि ( सात्विक बुद्धि , राजसिक बुद्धि , तामसिक बुद्धि ) निर्मित होती है जैसे हमारी बुद्धि है वैसे हमारी धारणा ( सात्विक धारणा, राजसिक धारणा, तामसिक धारणा) और जैसी धारणा होती है उसी अनुरूप हम सुख का चुनाव करते हैं और जिस प्रकार का सुख ( सात्विक सुख , राजसिक सुख , तामसिक सुख ) हम चुनते हैं उसके अनुरूप हमारा स्वभाव निर्मित होता है जैसा हमारा स्वभाव है वैसा ही हमारा जीवन है |
Support the show
All by the grace of Guru ji,
Brahmleen Sant Samvit Somgiri Ji Maharaj.