भारतीय परिदृश्य में वैवाहिक संबंध में बंधने के बाद महिला और पुरुष एक दूसरे से पूरी तरह जुड़ जाते हैं। उनका जीवन व्यक्तिगत ना रहकर परस्पर सहयोग की भावना पर आधारित हो जाता है। पति-पत्नी बन जाने के बाद उनके भीतर परस्पर आकर्षण तो विकसित होता ही है, लेकिन एक-दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण इससे भी ज्यादा अहमियत रखता है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार विवाह एक बेहद धार्मिक और पवित्र संबंध माना जाता है। जिसका अनुसरण पारिवारिक रीति-रिवाजों के द्वारा किया जाता है। मुख्य तौर पर वैवाहिक संबंध वंश को बढ़ाने के लिए जोड़े जाते हैं लेकिन इनका निर्वाह करना महिला और पुरुष के लिए उनका धर्म बन जाता है। वे दोनों परिवार के बड़ों के आशीर्वाद के साथ अपने नए जीवन की शुरूआत करते हैं। वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी अपने परिवार और एक दूसरे की खुशियों का ध्यान रखते हैं और पारिवारिक संबंध को पूरी तन्मयता के साथ निभाते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि जब विवाह में दहेज प्रथा की शुरूआत की गई तब से लेकर अब तक इस प्रथा के स्वरूप में कई नकारात्मक परिवर्तन देखे जा सकते हैं। इतिहास के पन्नों पर नज़र डालें तो यह प्रमाणित होता है कि दहेज का जो रूप आज हम देखते हैं ऐसा पहले नहीं था। उत्तरवैदिक काल में प्रांरभ हुई यह परंपरा आज अपने घृणित रूप में हमारे सामने खड़ी है। 🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸🍃🌸
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