।श्री हरिकथा।

2.श्रीमद‌् भागवत नवनीत –2. श्रीकृष्णदर्शन की इच्छा ।


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सुख भोगने से दुख का अंत नहीं होता। राजा हो राम को स्वर्ग के देव हो कोई भी हो कितना भी सुख भोग लिया उसकी प्रशांति मिली क्या श्री कृष्ण दर्शन से दुख की समाप्ति होती है। जब तक मानव आत्म स्वरूप में ही शांति पूर्वक भगवान का दर्शन नहीं करता , तब तक दुख का अंत नहीं होता। इसलिए श्री कृष्ण दर्शन की इच्छा रखो। भगवान का दर्शन करने की इच्छा रखकर साधन करो इससे बहुत शांति मिलेगी। श्री राम श्री कृष्ण के दर्शन के लिए जो प्रयत्न नहीं करता है, उसको अंत काल में बहुत ही दुख होता है। भगवान का दर्शन करने की इच्छा वही शुभेच्छा है। शुभेच्छा जीवन और मरण को सुधारते हैं अशोक इच्छा जीवन को बिगड़ती है और मरण को भी बिगाड़ती है। शुभेच्छा को भगवान सफल करते हैं।" शुभ" शब्द का अर्थ है भगवान। भगवान के दर्शन की जिसको इच्छा है, भगवान के चरणों में जाने कि जिसकी भावना है, उसकी वह शुभेच्छा सफल होती है।
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।श्री हरिकथा।By yashodama