3. श्रीमद् भागवत कथा सार भाग -3.
1. अंतकाल में पुण्यका स्मरण नहीं होता है .
2.पाप का स्मरण होता है। तीर्थ यात्रा में कुछ सत्कर्म किया, घर में कुछ अच्छा किया वो नहीं याद आता है।
3. हर क्षण में सावधान रहना। प्रतिदिन प्रतिक्षण सुधारना।
इंन्द्रियों का सदुपयोग करना।
वाणीका सदुपयोग करना।
4.समभाव माने विषमता का अभाव।
5.भागवत कथा का श्रवण अमरता प्रदान करता है।भागवत नि:संदेह बनाता है।
6.श्रीमद् भागवत,एक परिपूर्ण नारायण का स्वरूप है।