उपवास इसलिये करते हैं कि पूजा अनुष्ठान जप भजन में बाधा न उत्पन्न हो। अतः उपवास अथवा हलके और सात्विक आहार का नियम बनाया गया है। यदि सहनशक्ति नहीं है, शरीर अस्वस्थ या दुर्बल है और उपवास के कारण मन एकाग्र होने के स्थान पर चंचल हो जाता हो तो उपवास ही बाधा बन जाता है। ऐसे उपवास से अच्छा है कि भोजन ही कर लिया करें। आहार के सम्बन्ध में जिससे जो नियम सुगमता से निभ सके और जिस नियम से मन स्थिर रहे और शरीर स्फूर्त रहे, उसी को अपनाना चाहिये।