।श्री हरिकथा।

92...श्रीमद्भागवत महापुराण पारायण कथासार भाग -47,स्कन्ध-2,भगवत्सेवामें ही सुख है।


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92..भगवानका ध्यान करते करते वो ही बन जाये उसे ज्ञानी पुरूषों की कैवल्य मुक्ति कहतें हैं। औरंगाबाद सेवाएं लीन हो जाये और सेवाएं ही आनंद प्राप्त करके जो मुक्ति मिलती है ,उसेभागवतीमुक्तिकहतें हैं।
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।श्री हरिकथा।By yashodama